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बड़ा ज्ञान, अगले साल के लिए

पिछले साल को क़रीब-क़रीब पीछे छोड़ दिया है हमने. मैं तो एक साल ज़्यादा ग्यानी हो गया, या कहिये, कुछ बड़ा ही ज्ञान मिल गया मुझे. सोचा, आप लोगों से शेयर कर लिया जाए.  इंसान फ़ितरत से ऊल-जलूल सोचता रहता है, में भी सोचता रहता हूँ. अंत में हर बात का उत्तर मिल जाता है, लेकिन कुछ यक्ष प्रश्न हैं जो अन-सुलझे रह जाते हैं हर बार.  तो इस बार जब में सीरियस सा मुंह बनाकर बैठा था और कुछ सोच रहा था तो अपने एक साथी का करीब 10-11 वर्ष का बेटा जो शायद मेरी परेशानी भाँप रहा था, पास आ गया. "आप कुछ सोच रहे हैं ना ?" उसने पूछा. लगा, छोटे बच्चे इनोसेंट होते हैं और एक तरह से भगवान का रूप होते हैं, और इस भगवान ने तो मेरे मन की बात भी जान ली है. मेरे कठिन सवालों का हल भगवान के अलावा कौन दे सकता था, सो मैंने हाँ कर दी.   "पहले प्रॉमिस करिये कि आप मुझे अभी चॉकलेट लाकर देंगे?"  मेरे हाँ करने पर उसने मेरे प्रश्न को हल करने की मुद्रा में मेरी तरफ़ देखा. मुझे लगा, भगवान-स्वरुप इस बच्चे ने इस साल के जाते जाते मुझे सर्व-ज्ञानी बना देना है. (मन ही मन मैंने यह भी सोचना शुरू कर दिया कि अगर म