कैसे बनती हैं वैक्सीन? COVID के खिलाफ टीका कब तक आने की उम्मीद है?
4 सितंबर को लगभग 167 विभिन्न टीके विकास के विभिन्न चरणों में हैं, इनमें भारत के दो टीके शामिल हैं। सामान्य तौर पर एक वैक्सीन बनने में वर्षों लग जाते थे लेकिन कोरोना के विरुद्ध टीके बनाने का काम बहुत ज़्यादा तेज़ी से किया जा रहा है। ऐसा निम्न कारकों की वजह से संभव हो पा रहा है:
- तुरंत एक टीका विकसित करने की ज़रुरत देखते हुए सभी रेग्युलेशन करने वाली संस्थाओं और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपने दिशानिर्देशों में संशोधन किया है।
- वैश्विक सहयोग हो रहा है, जो इस स्तर पर पहले कभी नहीं देखा गया।
- कोरोनावायरस के व्यापक प्रसार के कारण मानव परीक्षणों के लिए बड़ी संख्या में व्यक्तियों की उपलब्धता। वायरस के कारण होने वाले तबाही को देखकर कई लोग टीके और दवाओं के परीक्षण के लिए स्वयंसेवकों के रूप में आगे आए हैं। इससे बड़ी संख्या में मानव परीक्षण करना आसान हो रहा है।
- अन्य तरह के कोरोनावायरस के कुछ टीकों की पहले से उपलब्धता।
- हाल के वर्षों में मानव जीन और वायरस के बारे में बेहतर समझ हुई है, जिसने टीके विकसित करने के लिए RNA के खण्डों का उपयोग करने का मार्ग प्रशस्त किया है।
- टीकों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए वैक्सीन में अतिरिक्त पदार्थों को जोड़ने का इंतजार नहीं किया जा रहा है (जो परंपरागत रूप से पहले किया जा रहा था)। इस प्रकार, प्रयोगशालाएं प्राथमिक पदार्थ पर ही ध्यान केंद्रित कर रही हैं जिससे समय कम लग रहा है।
- कुछ कंपनियों ने टीकों की खुराक का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू कर दिया है, ताकि जब ये टीके अंतिम चरण से गुजरें, तो पहले से ही लाखों खुराकें तैयार रहें। (यह एक वित्तीय जोखिम है, लेकिन कुछ कंपनियां वैक्सीन के सफल होने की स्थिति में लाभ की उम्मीद करके ऐसा कर रही हैं।)
बहुत ही सरल शब्दों में, टीके वे जैविक पदार्थ हैं जो एक रोगाणु / विषाणु के खिलाफ मानव प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करते हैं ताकि जब रोगाणु हमला करे तो शरीर इसके लिए तैयार रहे. ऐसा होता है कि जब शरीर इन जैविक पदार्थों से लड़ता है तो एक तरह से उसे विषाणु से लड़ने की ट्रेनिंग मिल जाती है। जब वायरस द्वारा वास्तविक हमला होता है, तो पहले का अनुभव मानव शरीर को हमले से उचित तरीके से निपटने में मदद करता है।
कोई भी पदार्थ जो मानव शरीर से इस प्रतिक्रिया को ट्रिगर कर सकता है (याने शरीर को विषाणु से लड़ने की ट्रेनिंग दे सकता है), टीका बनाने के लिए काम आ सकता है। मुख्य तौर से ऐसे पदार्थ ये होते हैं:
- कोरोनावायरस की जीन याने वायरस जीनोम के टुकड़े
- पूर्ण लेकिन कमजोर वायरस
- वायरस की प्रोटीन
- कोरोनोवायरस जीन शरीर में पहुँचाने के लिए एक अलग वायरस जो मनुष्यों के लिए हानिकारक नहीं है
- इसके अलावा, ऐसी वैक्सीन जो किसी अन्य समान वायरस के खिलाफ प्रभावी है, उसे भी कोरोनावायरस से बचाने के लिए काम में लाया जा सकता है।
एक वैक्सीन को मानव उपयोग के लिए अंतिम मंजूरी मिलने से पहले कम से कम 5 चरणों से गुजरना पड़ता है।
प्री-क्लिनिकल परीक्षण: आमतौर पर यह सबसे लंबा चरण होता है, जो विस्तृत रिसर्च से शुरू होता है। पहले वैक्सीन बनाने के चरणों का खाका बनता है फिर जैविक पदार्थ को जांचा परखा जाता है और टिशू कल्चर आदि पर इसका परीक्षण किया जाता है। अंत में वैक्सीन का परीक्षण जानवरों (ज्यादातर चूहों और बंदरों) पर किया जाता है ताकि इसकी प्रतिक्रिया की जांच की जा सके।
द्वितीय चरण के मानवीय परीक्षण: उम्र के आधार पर समूहों में बड़ी संख्या में लोगों (आमतौर पर 100 - 300) को टीका दिया जाता है। यह प्रथम चरण में पाए गए सुरक्षा और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की पुष्टि करता है।
तृतीय चरण के मानवीय परीक्षण: टीका बहुत अधिक संख्या में लोगों (हजारों) को दिया जाता है और उनके परिणामों की तुलना अन्य आबादी के साथ की जाती है। इस चरण के लिए स्वयंसेवकों की आवश्यकता होती है क्योंकि उनके शरीर द्वारा उचित प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न नहीं होने पर संक्रमित होने का जोखिम होता है। यह चरण महत्वपूर्ण और लगभग अंतिम है और वैक्सीन के भाग्य को निर्धारित करता है।
अनुमोदन के बाद का चरण: टीका बन जाने के बाद भी परीक्षण जारी रहता है, ताकि टीके की प्रभाविकता में सुधार हो सके और यह भी जांचा जा सके कि वायरस में परिवर्तन के साथ इसकी शक्ति कम तो नहीं हो रही।
दुनिया भर में विकसित हो रहे टीकों की स्थिति 4 सितंबर को निम्नानुसार है:
- अभी तक मानव परीक्षण चरण में प्रवेश नहीं कर कर पाई वैक्सीन: 142
- प्रथम मानव परीक्षण चरण के तहत: 24
- द्वितीय चरण के तहत: 14
- तीसरे चरण के तहत: 9
- सीमित प्रयोग/ अनुमोदन: 3
CanSino द्वारा विकसित एक वैक्सीन को चीनी सेना द्वारा उपयोग के लिए अनुमोदित किया गया है, हालांकि इसके उन्नत मानव परीक्षण अभी भी कनाडा और चीन में किए जा रहे हैं।
Gamaleya द्वारा विकसित Sputnik वैक्सीन को रूस के नियामक ने बिना फेज III के ट्रायल के उत्पादन की अनुमति दे दी है। WHO, अन्य देश और वैज्ञानिक इस वैक्सीन की प्रभाविकता और सुरक्षित होने पर संदेह कर रहे हैं।
AstraZeneca & Oxford University द्वारा विकसित की जा रही वैक्सीन दौड़ में दूसरों से आगे लगती है, हालाँकि 2-3 चीनी डेवलपर्स भी अपने आगे होने का दावा कर रहे हैं। चीन की खराब विश्वसनीयता के कारण और COVID-19 के शुरुआती महीनों के दौरान खराब सुरक्षा किट और फेस मास्क की आपूर्ति की वजह से लोग उनके दावे पर पूरी तरह विश्वास नहीं कर रहे।
Oxford University की साझेदार कंपनी, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, सितंबर 2020 तक वैक्सीन को मंजूरी मिलने की उम्मीद में, पहले से ही वैक्सीन की लाखों खुराकें बनाने में जुट गयी है।
इंतज़ार कीजिए जब तक कि ये टीके वास्तव में प्रयोगशालाओं से बाहर न आ जाएं, क्योंकि इनमें से कई मानव परीक्षणों के तीसरे चरण में भी विफल हो सकते हैं। उनके अनुमोदन में लंबा समय लग सकता है यदि वह प्रभाविकता के आवश्यक स्तर को साबित नहीं कर पाते हैं।
वैक्सीन के विकास की लैटस्ट जानकारी के लिए यहाँ देखें: Latest updates on Covid vaccine development
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