उत्तरायणी के 5 से 80-100 होने की कहानी एक न्यूजलेटर की ज़बानी - Old Uttarayani newsletter 2
This post was earlier published in a blog on Uttarayani. Since I am consolidating my web presence, I have copied the post here.
न्यूजलेटर की दूसरी प्रति भी हाथ लगी है, तो सोचा इसे भी साझा कर लिया जाए.
यह न्यूजलेटर बयां करता है उत्तरायणी के 5 से 80 होने की कहानी. इसमें वह लम्हे भी संजोए हुए हैं जब उस समय के वरिष्ठ फ़ौजी और सिविल अधिकारी उत्तरायणी से जुड़ने लगे थे.
एक सभा में जनरल जोशी भी आए थे, इसके बाद वह सदस्य भी बन गए थे. वह सभा भी हमेशा की तरह chaotic और इनफॉर्मल थी. सब बराबर थे, इसलिए जनरल साहब भी सबके बीच समा गए थे. किसी ने उन्हें फूल देने की कोशिश की थी, किसी ने कुछ नए सदस्यों से परिचय कराने का अधूरा सा प्रयास भी किया था, जिस को जो याद आया, वह करने में लगा था. श्री ढौंडियाल और जनरल जोशी के मार्गदर्शन में गंभीर विषयों पर चर्चा भी हुई.
चूँकि शीघ्र ही उत्तरायणी के सदस्यों की संख्या सौ के पार चली गई, इतनों में से कईओं को याद होगी आगे की कहानी. इसलिए यहीं पर विराम दिया जाए इस चर्चा को.
न्यूजलेटर को एक बार पढ़िएगा ज़रूर.
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